एक नव जागरण
नव उद्दीपना,
नव चेतना , नव कल्पना
प्यार की अपूर्व महक
पूर्णता का परिप्रकाश
जीवन की सार्थकता
मिट्टी की महक
मां का आंचल
एक अदम्य उत्साह
अंतहीन परितृप्ति.
– संध्यारानी दाश
नव चेतना जागृत हुई,
अरमान पुष्पित हो गये |
नव कल्पना के स्वप्न मेरे,
उदित प्रमुदित हो गये ||
तन हुआ केसरिया और ,
मन मस्त वैरागी हुआ |
मंज़र हुआ नीला गुलाबी,
इंद्रधनुषी जग हुआ ||
– मनीषा जैन
नव चेतना, नव कल्पना, भर भाव मन सद्भावना।
कोई दिखे जब पीर में, तुम हाथ उसका थामना।
भर कर्म घट सत्कर्म से, मत छोड़ना पथ धर्म से।
नव आस ले बढ़ ए पथिक, जीवन बना तुम साधना।
– शशि लाहोटी
पल पल रहे ख़ुशियाँ अपार
ना आए गम कभी द्वारे
नव शक्ति नव उत्थान
नव चेतना नव कल्पना
का हो नव निर्माण ।
– विधी जैन
शुभ नवरात्रि संग नव उमंग नव चेतना नव उत्कर्ष आस-विश्वास नव कल्पना
हम सबको जीने की सही राह दिखाती
नहीं छोड़ना कभी आशाओं की डोर
घनघोर तिमिर के बाद ही आती है भोर।
– तनुजा श्रीवास्तव
नव कल्पना नव चेतना नव आशा
जगाते दिल में उमंग दूर करते निराशा
प्रसन्नता के रंग मे जो रंग हैं जाते
शिखर पर चढ़ते -पूर्ण होती हर अभिलाषा।
– कांता कांकरिया
अभिप्राय हो कल्याण का
निर्मल हो मन स्तुति सत्य प्रधान हो
सृष्टि के नवसृजन का मन वचन कर्म प्रमाण हो
हों श्रेष्ठ नवचेतना नवकल्पना नवधारणा
पथ पर पुरुषार्थ के संस्कारों का उत्थान हो
– पारुल कंचन
नव चेतना जागृत हुई,
अरमान पुष्पित हो गये |
नव कल्पना के स्वप्न मेरे,
उदित प्रमुदित हो गये ||
तन हुआ केसरिया और ,
मन मस्त वैरागी हुआ |
मंज़र हुआ नीला गुलाबी,
इंद्रधनुषी जग हुआ ||
– मनीषा जैन