पत्तों की सरगोशियाँ

कुछ उन बीते पलों की यादें, गर्मियाँ आते ही आज भी ताज़ा हो जाती हैं — जब बेसब्री से छुट्टियों का इंतज़ार रहता। अम्मा-बाबा के घर जाना, सब भाइयों-बहनों से मिलना, एक साथ खाना-पीना, शाम को छत पर पानी छिड़कना, मुंडेरों पर बैठ अमियाँ चूसना — सच में क्या दौर था। शाम होते ही हम […]

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