मांँ के नाम ख़त जो कभी लिखा नहीं

मांँ मांँ, तुम ईश्वर का रूप हो, मेरी गुरू हो, मेरी सखी-सहेली हो, प्रेरणा हो मेरी। तुम्हारी क्या संज्ञा दूं मैं? ऐसा तो कोई शब्द ही नहीं बना जो मांँ की व्याख्या कर सके।कहते हैं, जब ईश्वर ने संसार रचा, तो उस संसार की देखभाल, प्यार और दुलार के लिए स्वयं धरती पर न आ […]

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