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यत्र.. तत्र.. सर्वत्र.. बस आप ही तो हैं प्रभु!गणपति बप्पा मोर्या

लेखिका: पूजा गुप्ता प्रीत

कौन कहता है भगवान बुलाने से आते नहीं! यहाँ आकर देखिये इन 10 दिनों में जो भक्ति-भावना इस शहर में देखने मिलती है शायद ही कहीं और दिखाई दे, जब भगवान गणेश अपने भव्य, विराट स्वरुप में, आसमान छूती प्रतिमाओं का रूप लिए आते हैं। और उन विशाल प्रतिमाओं से भी बड़ा होता है गणपति भक्तों का जुनून, उनका जोश… मीलों लम्बी कतारें, अपने इष्ट की सिर्फ एक झलक देखने को उमड़ती भीड़।


ये सच्चे मन के भाव ही तो हैं, जो हम सोने चाँदी से बनी मूर्ति पर नहीं, मिटटी से बने देवता पर इतना विश्वास करते हैं। साल भर हमारे घर के मंदिर में बैठे गणपति से शायद इतना कुछ नहीं कह पाते, जितना इन 10 दिनों में कह जाते हैं।

ढोल-ताशों के बीच जिस उत्साह से गणपति आते हैं उससे दुगुने जोश और उत्साह से होती है बप्पा की विदाई !


गणपती बाप्पा मोरया पुढच्या वर्षी लवकर या!
अगले बरस तू जल्दी आ! के उद्घोष से गूंजता ये शहर, उस दिन अपने सबसे सुन्दर रूप में होता है। लोगों की भीड़ से भरी सड़कें… हवा में उड़ता गुलाल… मुंबई के रंग को ही बदल देता है। ना कोई भेदभाव ना कोई बैर, बस भक्ति!

बाप्पा बता कर चले जाते हैं कि जो आया है उसे जाना ही है। और अपने पीछे छोड़ जाते हैं, न जाने कितनी नम आँखे और अटूट विश्वास कि सब ठीक हो जायेगा।

मेरा मानना है की धरती पर साक्षात् ईश्वर को देखना हो, तो जीवन में एक बार मुंबई के गणपति उत्सव को जरूर देखना चाहिए। अगर आपके दिल में थोड़ी भी आस्था है तो आप अनुभव कर पायेंगे ..साक्षात् ईश्वर की उपस्थिति को!????

यत्र.. तत्र.. सर्वत्र.. बस आप ही तो हैं!

लेखिका का परिचय:

पूजा गुप्ता प्रीत एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर, लेखिका व ज्योतिषी हैं। हिन्दी कहानियों की प्रचलित वेबसाइट प्रतिलिपि पर 14 लाख से अधिक पाठक और 6100 फॉलोअर्स होने के साथ ही, अब तक 200 से अधिक कहानियों, कविताओं व स्क्रिप्ट की लेखिका भी हैं।
इनकी अब तक 7 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं।

1 thought on “यत्र.. तत्र.. सर्वत्र.. बस आप ही तो हैं प्रभु!गणपति बप्पा मोर्या”

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