Join our Community!

Subscribe today to explore captivating stories, insightful articles, and creative blogs delivered straight to your inbox. Never miss out on fresh content and be part of a vibrant community of storytellers and readers. Sign up now and dive into the world of stories!

Email
Subscription Confirmed! Stay Tuned for Updates.
There has been some error while submitting the form. Please verify all form fields again.

वो भयावह दिन ( An unforgettable incident )

लेखिका: प्राची अग्रवाल

पिछले साल मई में हम महिला मंडल का टूर का प्लान बना। गर्मियाँ बहुत थी, इसलिए सबने सुझाव दिया कि गंगा स्नान कर आयें। बुलंदशहर जिले में स्थित छोटी काशी नाम से मशहूर अनूपशहर भ्रमण निश्चित हुआ।

वैसे तो मांँ गंगा जीवनदायिनी हैं।

लेकिन मनुष्य प्रकृति से अंधाधुंध छेड़खानी कर रहा है। गंगा -यमुना से अवैध तरीके से रेत बालु का खनन होता है। जिससे पानी में बहुत गहरे गड्ढे और दलदल हो जाती है। जिसका शिकार होते हैं निरिह प्राणी। मोक्षदायिनी गंगा अनूपशहर में शापित सी हो गई है। प्रतिदिन यहां किसी न किसी की डूबने की खबर आती ही रहती हैं।

अनूपशहर  जाने में डर सा लग रहा था, लेकिन महिलाओं की टोली में जाने का आनंद ही कुछ और है। थोड़ा सा जी पक्का कर हम सब सुबह ही बस में बैठकर निकल गए। रास्ते भर गाते- बजाते हुए, समय का पता ही ना चला। और हम सब पहुंचे गंगा किनारे। मांँ गंगा को प्रणाम किया। मस्तराम घाट पर किनारे पर ही सतर्कता से हम महिलाओं की टोली स्नान करने लगी।

हमने देखा पांच -सात लड़के- लड़कियों का ग्रुप भी स्नान करने आया है। वह लोग पानी में अठखेलियांँ कर रहे थे। वह गंगा माँ को वाटर पार्क समझ रहे थे। किनारे पर उन्हें पानी कम लगा इसलिए दो लड़के सीमा बल्ली से आगे स्नान करने लगे। वह अपने दोस्तों को भी आगे बढ़ने के लिए उकसा रहे थे। तभी एक लड़का तेज बहाव में बहने लगा। उसको बचाने की कोशिश में दूसरा लड़का भी बहने लगा। घाट पर एकदम चीख-पुकार मच गई। साथ में आए हुए दो लड़के भी आगे बढ़ने को हुए। उनमें से एक लड़की बहुत समझदार थी, उसने अपनी चुन्नी उतार कर और लड़कों के हाथ में पकड़ा दी। पास की महिलाओं ने भी अपना दुपट्टा आगे बढ़ा दिया पहले दो लड़के तो तेज बहाव में डूब गए। बाद वाले दो लड़के दुपट्टे के सहारे बच गए।

उन लड़कियों की समझदारी से दो लड़कों के प्राण बच गए। गोताखोर लगाए गए लेकिन दोनों लड़कों का कुछ अता पता ना चला। हम सब महिलाएं भी जल्दी से पानी से निकलकर अपने कपड़े बदल कर दुखी मन से वापिस अपने गंतव्य की ओर रवाना हो गई। रास्ते भर मन बहुत बुझा-बुझा रहा। रह-रह कर वही दृश्य याद आ रहा था।

जरा सी लापरवाही कितनी बड़ी दुर्घटना का सबब बन जाती है। प्रकृति से छेड़छाड़ करना विपत्ति को न्योता देना है। नदियों और वाटर पार्क में अंतर करना सीखो। आजकल लोग नदियों के किनारे कैंपिंग कर रहे हैं। उल्टे-सीधे खादय् पदार्थ नदियों के अंदर स्नान करते समय खाते हैं। अंधाधुंध शोर, अश्लील गाने व मांस मदिरा का सेवन नदी किनारे करते हैं। फिर भुगतना पड़ता है प्रकृति का कोप।

अगले दिन अखबार में उन दोनों लड़कों की मृत्यु की सूचना प्राप्त हुई। आंखें डबडबा गई। मन में सवाल उठा कि मनुष्य जरा से आनंद के लिए कैसे अपने प्राणों को दांव पर लगा देता है।

Scroll to Top