कॉलेज का सफ़र सपनों से भरा होता है। यह वह दौर होता है जब मन कई बदलावों से गुजर रहा होता है—पढ़ाई, करियर, दोस्ती और आकर्षण सब कुछ एक साथ दिलो-दिमाग़ में घूमता रहता है। नई राहें खुलती हैं और किसी के होने की चाह भी मन में धीरे-धीरे जगह बना लेती है। ऐसा ही कुछ ‘रोमा’ के साथ हुआ।
सादगी ही उसका सबसे बड़ा श्रृंगार थी। कॉलेज में कदम रखते ही उसे लगा कि उसे कुछ बड़ा हासिल करना है। वह पूरी लगन और मेहनत से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने लगी। मगर कभी-कभी दिल में एक खालीपन सा महसूस होता। मन करता कि कोई ऐसा दोस्त हो जिससे वह अपने दिल के भाव, छोटी-छोटी खुशियाँ और मासूम सी इच्छाएँ बाँट सके। वह चाहती थी कि कोई उसे बिना किसी जजमेंट के समझे, उसकी मासूमियत और सादगी को महसूस करे। लेकिन यह कौन होगा? कहाँ मिलेगा? क्या सच में किसी दोस्त का होना ज़रूरी है? ऐसे ही कई सवालों में उलझी वह अपने सफ़र पर आगे बढ़ती गई।
समय बीतता गया, लेकिन रोमा की ज़िंदगी में वह खास एहसास नहीं आया, जो शायद उसने मन ही मन चाहा था। कॉलेज का सफ़र पूरा हुआ, अच्छे अंक मिले, और उसने प्रोफेशनल डिग्री करने का निर्णय लिया। मगर एक मलाल हमेशा उसके दिल में रहा कि उसने कभी किसी को अपने दिल का दोस्त नहीं बनाया। ऐसा नहीं था कि उसे किसी ने पसंद नहीं किया, लेकिन पापा के डर से वह कभी “हाँ” कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाई।
पर कहते हैं ना, “ऊपरवाले ने हर किसी के लिए किसी न किसी को बनाया है” और “भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं।” यही बात रोमा को तब समझ आई जब अचानक उसकी धड़कनों ने किसी को अपना बना लिया। सिर्फ़ एक आवाज़—फोन पर सुनी गई एक मुलाकात—ने उसके दिलो-दिमाग़ पर गहरा असर डाल दिया। वह समझ नहीं पा रही थी कि यह एहसास क्या है? क्यों उसकी धड़कनें तेज़ हो जाती हैं? क्यों उसे हर चीज़ खूबसूरत लगने लगी है? क्यों चाँद-सितारों से बातें करने का मन करता है? क्यों अपने आप से प्यार होने लगा है? यह सब क्या था?
रोमा की ज़िंदगी जैसे किसी नई ख़ुशबू से महक उठी थी। हर पल उसे किसी का इंतज़ार रहने लगा। उसका दिल कहता कि वह उससे मिलना चाहती है, उससे बातें करना चाहती है, अपनी अनकही भावनाएँ उसे बताना चाहती है। मगर क्या वह भी ऐसा ही महसूस करता होगा? क्या वह भी यही चाहता होगा? इन सवालों के जवाब रोमा के पास नहीं थे। लेकिन अब पापा का डर कहीं गुम हो गया था। वह एक अलग ही दुनिया में जीने लगी थी, मगर फिर भी अपने दिल की बात कहने की हिम्मत नहीं जुटा सकी।
एक दिन अचानक फ़ोन की घंटी बजी। रोमा ने फ़ोन उठाया और दूसरी तरफ़ से वही जानी-पहचानी आवाज़ आई—”आई लव यू।”
वह वहीं की वहीं ठिठक गई। उसकी ज़ुबान जैसे बंद हो गई। ना “हाँ” कह पाई, ना “ना”। सब कुछ सुनने के बावजूद भी वह अपने दिल की बेचैनी और हलचल को शब्दों में नहीं ढाल पाई। शायद पापा का डर उसकी मोहब्बत से कहीं बड़ा था। उसके संस्कार, उसकी परवरिश, सबकुछ उसे रोक रहे थे।
उस शख़्स ने मिलने की इजाज़त माँगी, मगर जब कोई जवाब नहीं मिला, तो वह समझ गया कि रोमा की ख़ामोशी में जो सब्र और अपनापन है, वही असली इश्क़ है। जब शब्द कम पड़ जाएँ और धड़कने एक-दूसरे को सुनने लगें, तो वही सच्चा प्यार होता है। दोनों एक-दूसरे के थे, मगर फिर भी दूर थे।
समय बीतता गया। वह शख़्स इंतज़ार करता रहा, मगर रोमा से कभी कोई संपर्क नहीं हुआ। एक दिन उसने हिम्मत जुटाकर उसके घर का पता लगा लिया और वहाँ पहुँच गया। लेकिन जो खबर उसे मिली, उसने उसे अंदर तक तोड़ दिया। रोमा अब इस दुनिया में नहीं थी। एक हादसे ने उसकी ज़िंदगी छीन ली थी।
वह शख़्स स्तब्ध रह गया। आँखों से आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। वह बस यही कहता रहा—”बहुत देर कर दी… बहुत देर हो गई…।”
और फिर, वह बस रोमा की यादों और उसकी ख़ामोश मोहब्बत के साथ जीता रहा… जीता रहा…। क्योंकि इश्क़ कभी मरता नहीं, वह हमेशा धड़कनों में ज़िंदा रहता है|
Image Courtesy: By Veerendra via Pexels
अपनी टिप्पणियाँ नीचे दें, क्योंकि वे मायने रखती हैं
– हरमिंदर कौर

लेखिका परिचय:
हरमिंदर कौर एक बहुआयामी प्रतिभा की धनी लेखिका, कलाकार और न्यूमरोलॉजिस्ट हैं, जो वर्तमान में जालंधर शहर में रहती हैं। उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन में एम. कॉम, एम. एससी. आईटी, और एम. सी. ए के साथ-साथ बी. एड की डिग्री भी प्राप्त की है। लिखना, पेंटिंग करना, बागवानी, पर्यटक स्थलों की यात्रा और फोटोग्राफी उनके प्रमुख शौक हैं। साहित्य के प्रति उनके समर्पण का प्रमाण उनका एकल काव्य संग्रह “सोच के अंश” है, जो 2021 में प्रकाशित हुआ। इसके अलावा, उनकी रचनाएँ 45 से अधिक सांझा संकलनों में प्रकाशित हो चुकी हैं। लेखन और कला के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें कई ऑनलाइन सम्मान पत्र प्राप्त हुए हैं। 2021 में ही उन्हें एस्पिरेंट अचीवर्स द्वारा “स्टॉप रेप, सेव ह्यूमैनिटी” मिशन के तहत राइटर ऑफ़ द ईयर सम्मान से नवाजा गया। उनकी कहानियाँ “हृदय के दर्पण से” साँझा कहानी संग्रह का भी हिस्सा हैं। पेशेवर रूप से, वह एक न्यूमरोलॉजिस्ट और वास्तु कंसल्टेंट हैं, जो स्वास्थ्य, करियर, वित्त, रिश्तों और संतान से जुड़ी समस्याओं के समाधान में मार्गदर्शन प्रदान करती हैं|