सफरनामा — सफर अनजानी राहों का
छोटे से कस्बे में जन्म हुआ था स्वीटी का। वहां कोई भी रेलवे स्टेशन नहीं था। बहुत भोली थी स्वीटी। जब कोई उससे पूछता, “तुम रेल में बैठी हो क्या?”तो स्वीटी भोलेपन से जवाब देती, “मैं तो बैलगाड़ी में बैठी हूँ।” सभी उसके इस भोलेपन का बहुत मजाक उड़ाते, पर स्वीटी अपनी धुन में मगन […]