प्रेम — पागलपन या वंदनीय? | एक रहस्यमयी प्रेम कहानी
रात का तीसरा पहर था।आर्या अपनी खिड़की के पास खड़ी थी। बाहर हल्की बारिश हो रही थी और हवा में अजीब-सी ठंडक थी। दूर मंदिर की घंटियाँ बज रही थीं, पर उसके भीतर एक बेचैनी थी — जैसे कुछ होने वाला हो। अर्जुन को गए हुए तीन महीने हो चुके थे। कोई नहीं जानता था […]
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