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भीगे मौसम में सुंदर दिखने के उपाय

A woman in a white dress dances in a lush green meadow under a soft summer sky.

बारिश के भीगे-भीगे मौसम में सब मनभावन लगता है। चारों तरफ़ सब कुछ धुला-धुला, हरे-भरे पेड़ और बागीचे देखकर मन मयूर नाच उठता है। बरखा में भीगने का आनंद भी तो इन्हीं दिनों में मिलता है।

मौसम में आर्द्रता बढ़ने के कारण स्वास्थ्य का कुछ ज़्यादा ध्यान रखना होता है। नमी की वजह से बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं, बना हुआ खाना और पानी जल्दी खराब हो जाते हैं। कई तरह की बीमारियों का डर रहता है, जिसका प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है और यही हमारे सौंदर्य पर भी असर डालता है। इसी लिए मानसून के मौसम में हल्का, ताज़ा और पौष्टिक आहार लेना चाहिए। लेकिन बादल-बारिश होने पर हमें तला-भुना जैसे पूरी, समोसा, पकौड़े खाना भाता है। चिकनाई की मात्रा भरपूर होने की वजह से त्वचा तैलीय हो जाती है और फिर दाने व फुंसियाँ निकल आती हैं।

त्वचा के रोमछिद्र खुले रहें तो दिन में कई बार चेहरे को धोते रहें और कभी-कभी क्लींजर का भी प्रयोग किया जा सकता है। हमें चाहिए कि बेसन या सूखे संतरे के छिलके का बना पाउडर लें, उसमें कुछ बूंदें नींबू की, कच्चा दूध और थोड़ी सी हल्दी मिलाकर उससे चेहरे को मलकर साफ करें। इससे मृत त्वचा भी साफ हो जाएगी और चेहरा चमकदार बनेगा। वैसे, अगर हम सलाद और फलों का सेवन करें और खूब पानी पिएं तो त्वचा अंदर से हाइड्रेटेड रहेगी।

बारिश के मौसम में बालों के झड़ने की समस्या लगभग सभी को होती है। छाछ या दही लगाकर बालों को कुछ देर छोड़कर फिर शैंपू करें तो कंडीशनर लगाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी और बालों में चमक आ जाएगी व वे रूखे भी नहीं रहेंगे।
बिना तेल लगाए भी इस मौसम में बाल चिपचिपे हो जाते हैं, तो हमें आंवला, रीठा, शिकाकाई का पाउडर बालों के हिसाब से भिगो देना चाहिए। जब वो फूल जाए तो कुछ देर बालों में मलकर बाल धो लें। इससे बालों का झड़ना भी रुकेगा, बाल चमकदार और घने लगेंगे। बालों की ट्रिमिंग कराते रहना भी ज़रूरी है, इससे जड़ें मज़बूत होती हैं। बालों में ड्रायर का इस्तेमाल कम ही करें क्योंकि इससे बाल डैमेज हो जाते हैं।

बाल, खाल और खानपान के अलावा इस मौसम में पहनावे पर भी ध्यान देना ज़रूरी है। यह भी हमारे व्यक्तित्व में चार चांद लगाते हैं। हमारे भारतवर्ष का मौसम ऐसा है कि हमें सूती कपड़े ही ज़्यादा भाते हैं। ये पसीना भी सोख लेते हैं और शरीर को ठंडा रखते हैं। पॉलिएस्टर और सिंथेटिक कपड़े पसीना आने पर शरीर से चिपकते हैं। पसीना अंदर ही अंदर रहने की वजह से त्वचा से जुड़ी बीमारियां हो जाती हैं। सूती और ढीले कपड़े पहनेंगे तो त्वचा भी सांस ले पाएगी।

बारिश के मौसम में ख़ुद की हाईजीन का ख़्याल रखना ज़रूरी है। प्रकृति आपको मौसम के हिसाब से जो प्रदान करे उसे उपयोग में लाएं – जैसे इन दिनों नीम की निम्बोरी, जिसे चूसने से खून साफ़ होता है।

प्रतिदिन कुछ योग अभ्यास करें तो हम स्वस्थ रहेंगे ही, साथ ही हमारी सोच भी सकारात्मक हो जाएगी और चेहरा खुद ही ग्लो करेगा।

Image Courtesy: https://www.pexels.com/@cottonbro
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– मीनाक्षी जैन

Writer Author Meenakshi Jain

लेखक परिचय: मीनाक्षी जैन

  • जन्म स्थान – दिल्ली
  • शिक्षा – दिल्ली
  • योग्यता – क्लिनिकल साइकोलॉजी में ग्रेजुएशन

मीनाक्षी जैन ने विदेशी सामाजिक संस्थाओं के साथ मिलकर भारत के दूर-दराज़ गांवों में पेंटोमाइम के माध्यम से शिक्षा से जुड़े कई कार्यक्रमों में भाग लिया। उन्होंने दूरदर्शन पर भी अपनी प्रस्तुतियाँ दीं।

इनकी लेखनी समाज, संस्कृति और मानवीय भावनाओं की गहरी समझ को उजागर करती है।

इनकी रचनाएँ न केवल पाठकों को सोचने पर मजबूर करती हैं, बल्कि जीवन के विभिन्न पहलुओं को एक नए दृष्टिकोण से देखने का अवसर भी प्रदान करती हैं। इनके कार्यों में गहरी विचारशीलता और संवेदनशीलता झलकती है, जो पाठकों को प्रेरित करती है।

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