नवरात्रि शॉट्स की हमारी #NineDaysNineMuses यात्रा के सातवें दिन का विषय है “साहस”। प्रस्तुत हैं कविताएँ और कहानियाँ जो वीरता, आत्मबल और कठिन परिस्थितियों में अडिग रहने की शक्ति का उत्सव मनाती हैं।
देवी का साहस
अपने पराक्रम का असुरों को जब-जब हुआ अभिमान,
दुर्गा ने अपने साहस से कर दिया काम तमाम।
लेकर खंडा-खड्ग हस्त में, सज़ा लिए हथियार,
रूप भयानक धारे किया वार पर वार।
देख देवी की वीरता, असुर हुए भयभीत,
विकल हुए, चिंतित हुए, कैसे पाएँ जीत।
असुरों के दिल काँप रहे थे देखके चंडी रूप,
ललकार रही थी देवी हरपल बदल-बदलके स्वरूप।
तीर असुरों के जब माँ के तीरों से टकराते थे,
तो दिल शूरवीरों के भी काँप जाते थे।
पवन रूप से जब हलचल माँ ने मचाई,
प्रसन्न हो देवों ने तब महिमा माँ की गाई।
किया पल में देवी ने दैत्यों का संहार,
हर्षित हो देवों ने की माँ की जयजयकार।
— रुचि असीजा “रत्ना”
नारी का साहस
मैं नारी हूँ, मुझे अबला न समझना,
हर हालातों से मुझे आता है गुज़रना।
सोच को मेरी तुम अब जकड़ न पाओगे,
उड़ान को मेरी अब कैद न कर पाओगे।
समाज में रहकर दायित्व सब निभाऊंगी,
लोग क्या कहेंगे अब इस पर न जाऊँगी।
साहस रखूँगी, निज शक्ति को न गवाऊंगी।
— मीनाक्षी जैन
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