उस शाम रिश्तेदारी की शादी में बरसों बाद मयंक मीता को देख कह उठे — “अरे मीता, इतनी बड़ी हो गई!” मीता झेंप गई। जब वह स्कूल में पढ़ती थी, तब दोनों मिले थे। उसके बाद अब वह कॉलेज में आ गई थी। दोनों की उम्र में दस वर्ष का अंतर था। मयंक इसी शहर के थे, और कानपुर में पढ़ते थे। मीता दिल्ली से परिवार संग आयी थी।
रात को गीत-संगीत, हँसी-ठिठोली होती रही। मयंक की नज़रें मीता पर ही ठहर जातीं। अगले दिन बारात की तैयारी में सभी जुटे थे — पन्नी की झालर, साड़ियों से मंडप बनाना और दरवाज़ों पर बंदनवार लगाना। मयंक मीता को अपने साथ रखते, और उसे भी यह अच्छा लगता। जहाँ वे बैठकर बतियाते, वहीं मजमा लग जाता। सभी लोग उनसे और उनके व्यक्तित्व से आकर्षित और प्रभावित रहते।
सजावट खत्म होते ही, कल क्या पहनेंगे इस पर चर्चा शुरू हुई। मयंक मीता से पूछ बैठे — “क्या लहँगा पहनना पसंद करोगी? माँ के पास कलाबत्तू का लहँगा और कामदानी की ओढ़नी है।” मीता ने हामी भरी और मयंक रात को ही लहँगा लेकर पहुँच गए।
बारात के स्वागत की हलचल मची थी। सजधज कर घराती तैयार थे। मीता की आँखें मयंक को खोज रही थीं। सफ़ेद मलमल के कुर्ते में, बाहों में महीन चुन्नट डाले, भीनी-भीनी ख़ुशबू में सराबोर, वे किसी राजकुमार से कम नहीं लग रहे थे। मयंक मीता के पास आकर बोले — “सबसे अलग दिख रही हो!”
अगले दिन सभी विदा हुए। मयंक और मीता चिट्ठियों के माध्यम से जुड़े रहे। मयंक लेक्चरर बन चुके थे और मीता बी.ए. फाइनल में थी। एक दिन कॉलेज से लौटते समय उसने मयंक को सामने देखा — आश्चर्य और खुशी से भर उठी। किसी काम से मयंक दिल्ली आए थे। उसी शाम उन्होंने लॉन में खड़ी मीता के सामने शादी का प्रस्ताव रखा और उनके जीवन का नया अध्याय शुरू हुआ।
आज पचास वर्ष बीत चुके हैं। मीता उस शाम को आज भी नहीं भूल पाई।
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— मीनाक्षी जैन

लेखक परिचय: मीनाक्षी जैन
- जन्म स्थान – दिल्ली
- शिक्षा – दिल्ली
- योग्यता – क्लिनिकल साइकोलॉजी में ग्रेजुएशन
मीनाक्षी जैन ने विदेशी सामाजिक संस्थाओं के साथ मिलकर भारत के दूर-दराज़ गांवों में पेंटोमाइम के माध्यम से शिक्षा से जुड़े कई कार्यक्रमों में भाग लिया। उन्होंने दूरदर्शन पर भी अपनी प्रस्तुतियाँ दीं।
इनकी लेखनी समाज, संस्कृति और मानवीय भावनाओं की गहरी समझ को उजागर करती है।
इनकी रचनाएँ न केवल पाठकों को सोचने पर मजबूर करती हैं, बल्कि जीवन के विभिन्न पहलुओं को एक नए दृष्टिकोण से देखने का अवसर भी प्रदान करती हैं। इनके कार्यों में गहरी विचारशीलता और संवेदनशीलता झलकती है, जो पाठकों को प्रेरित करती है।