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वसंत ऋतु में आहार और सेहत: स्वस्थ रहने के सरल उपाय

Close-up of fried rice and coffee cup on a tray, an ideal breakfast choice.

वसंत, जिसे ऋतुओं का राजा भी कहा जाता है, नव ऊर्जा, नव प्रेरणा और नवीनता का प्रतीक है। इस मौसम में प्रकृति अत्यंत रमणीय हो जाती है। पेड़ों पर नव कोपलों का आना, रंग-बिरंगे फूलों का खिलना और हरियाली से सजी धरती का इठलाना मन को आनंदित करता है। बदलते मौसम के साथ खानपान में उचित बदलाव भी आवश्यक हो जाता है। सर्दियों की तुलना में वसंत ऋतु में पाचन शक्ति कमजोर होती है, इसलिए खानपान संबंधी सावधानियां बरतनी चाहिए। आइए जानते हैं कि स्वस्थ जीवनशैली के लिए हमें किस प्रकार के आहार को अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए।

वसंत ऋतु में गरिष्ठ, तैलीय भोजन, मेवे और मिठाइयों का अत्यधिक सेवन वर्जित है, क्योंकि इससे वात, पित्त और कफ का संतुलन बिगड़ सकता है। इसकी जगह मौसमी फल, सब्जियां और अनाज का सेवन करें, जो सुपाच्य होने के साथ आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं।
🔹 सब्जियां: पालक, सरसों का साग, बींस, गाजर, मटर, फूलगोभी, पत्तागोभी
🔹 फल: अंगूर, केला, पपीता, बेर, अमरूद, संतरा आदि

बदलते मौसम के कारण सर्दी-जुकाम की संभावना बनी रहती है। इस दौरान शहद का सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।
✅ गर्म पानी और नींबू के साथ शहद
✅ ग्रीन टी और कच्चा नारियल पानी
✅ ये सभी मेटाबॉलिज्म को स्वस्थ रखते हैं और पाचन शक्ति बढ़ाने में मदद करते हैं।

नाश्ता पूरे दिन ऊर्जावान बनाए रखने में मदद करता है। इसे अपनी दिनचर्या में अवश्य शामिल करें।
✅ दूध, दही, दलिया, ओट्स, अंडे, फल और अंकुरित अनाज नाश्ते के बेहतरीन विकल्प हैं।

दोपहर में पाचन अग्नि चरम पर होती है, इसलिए इस समय भरपूर आहार लेना चाहिए।
✅ दाल, रोटी, चावल, हरी सब्जियां, दही, छाछ
❌ अधिक नमक युक्त और तले-भुने खाद्य पदार्थों से बचें।
✅ भोजन के बाद हल्की चहल-कदमी अवश्य करें।

रात का भोजन हल्का और संतुलित होना चाहिए।
✅ मिक्स वेजिटेबल सूप, सलाद, खिचड़ी, चपाती
✅ भोजन के बाद टहलने की आदत बनाएं, यह बेहतर पाचन में मददगार होता है।

गर्म दूध अच्छी नींद में सहायक होता है।
✅ दूध में मौजूद कैल्शियम, फास्फोरस और विटामिन डी हड्डियों को मजबूत बनाते हैं।
✅ यह पाचन तंत्र को भी संतुलित करता है और मल त्याग में सहायता करता है।

✅ चाय और कॉफी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शरीर को स्फूर्ति और आराम देते हैं, लेकिन इनका अधिक सेवन पाचन तंत्र और नींद पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
✅ शक्कर की बजाय गुड़ या शुगर-फ्री विकल्प अपनाएं।

✅ मॉर्निंग वॉक, योग और हल्की कसरत शरीर को तंदुरुस्त बनाए रखते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होते हैं।
✅ समय-समय पर उपवास रखना भी स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभदायक होता है।

वसंत ऋतु में आहार और जीवनशैली में कुछ छोटे-छोटे बदलाव करके हम इस मौसम का भरपूर आनंद उठा सकते हैं। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और सही आदतों से न केवल हमारी पाचन शक्ति बेहतर होती है बल्कि हम ऊर्जावान और स्वस्थ भी बने रहते हैं।

Image Courtesy: aksinfo7 universe via Pexels
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-अनीता सुराणा

लेखिका परिचय:

मैं अनीता सुराणा, एक लेखिका, कवयित्री और फुल-टाइम गृहणी हूँ। हिन्दी साहित्य में स्नातक हूँ तथा लेखन, पठन, गायन और हस्तकला में रुचि रखती हूँ। जीवन, प्रेम, नारी विषयक एवं सामाजिक मुद्दों पर लेखनी चलाते हुए मेरी कुछ साझा काव्य संग्रह भी प्रकाशित हो चुके हैं।

विभिन्न साहित्यिक मंचों पर लिखते हुए मुझे अनेक सम्मान पत्र, पदक, मेमेंटो, साहित्य रत्न, हिन्दी रत्न उपाधियाँ तथा उपहार स्वरूप अनेक पुस्तकें प्राप्त होने का सौभाग्य मिला है। विविध साहित्यिक मंचों द्वारा पोएट ऑफ द मंथ, स्टार ऑफ द मंथ, क्वीन ऑफ द मंथ, साप्ताहिक सितारा एवं हिन्दी साहित्य रत्न जैसे खिताब भी मिले हैं। साथ ही, मेरी रचनाएँ विभिन्न समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं।

मेरा मानना है कि कविताएँ व्यक्ति के विचारों का आईना होती हैं। वे अकेलेपन की सच्ची साथी होती हैं और जिंदगी की भागदौड़ से उत्पन्न तनावपूर्ण वातावरण में संजीवनी का कार्य करती हैं। साथ ही, कविता लेखन आत्म-अवलोकन और आत्म-विकास की प्रक्रिया भी है। लेखन मुझे आत्मसंतुष्टि और आत्मप्रसन्नता प्रदान करता है, और इसी कारण मैं लेखन से जुड़ी हूँ।

मेरे पसंदीदा साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद हैं।

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