लेखिका: पारुल कंचन
मरूत्सखा एक नाम जो बस जिक्र बनकर किताबों के पन्नों में छिप गया ,
{ युवं पेदवे पुरूवारमश्विना स्पृधांश्वेतं तरूतारं दुवस्यथ: ।
शयैरभिद्युं पृतनासु दुष्टरं चकृत्यमिन्द्रमिव चर्षणीसहम् ।।
ऋग्वेदादि भाष्य भूमिका (सं•1949 ) द्वितीय वारम्, पृष्ठ संख्या 205 ,209}
पुरातन काल में महर्षि दयानंद ने जब यह सिद्ध करने के लिए कि वेद सब विद्याओं के मूलाधार हैं वेद मंत्रों के प्रमाण प्रस्तुत किए और प्रमाणित कि यह मंत्र जलयानो (watercraft), आकाश यानो(aircraft) और तारविद्या (telecom) technology का वर्णन करते हैं तो पश्चिमी संस्कृति ने उनका उपहास किया परंतु महर्षि के निर्वाण के 13 वर्ष बाद 1885 ई• में श्री शिवकर बापू जी तलपदे ने मुंबई की चौपाटी समुद्र तट पर अपना विमान 1500 फीट की ऊंचाई तक उड़ाया । इस घटना का वर्णन कई पत्रिकाओं जैसे कादंबिनी, पांचजन्य, वैदिक धर्म, केसरी, टाइमज वीकली में कई वर्ष पहले हो चुका है । 7 जुलाई 1974 के धर्म युग के अंक में इस घटना का विवरण इस प्रकार दिया गया था-
सन् 1895 – एक भारतीय नागरिक द्वारा मुंबई की चौपाटी समुद्र तट पर विमान की सफल उड़ान ।
क्या आप जानते हैं कि अमेरिका में राइट ब्रदर्स की सफल उड़ान (1930 ई•) से लगभग 8 वर्ष पहले इस ऐतिहासिक उड़ान का गौरव प्राप्त करने वाला वह भारतीय नागरिक चीरा बाजार मुंबई के निवासी श्री तलपदे जी थे। वे संस्कृत के विद्वान तथा सर जे•जे•स्कूल ऑफ आर्ट्स में अध्यापक थे उन्हें वेदों का अच्छा ज्ञान था तथा साथ ही विज्ञान में भी रुचि थी अपनी पत्नी तथा मित्र के सहयोग से उन्होंने वैदिक मंत्रों से प्राप्त जानकारी के आधार पर एक विमान का निर्माण किया इसका नाम था मरूतसखा तथा बम्बई आर्ट सोसायटी के तत्वाधान में इसे बम्बई के टाउन हॉल में प्रदर्शित किया गया था । विमान को उड़ाने के लिए पारे (mercury) और सौर ऊर्जा (solarlight) का उपयोग किया गया था ।
चौपाटी पर देखने वालों में बड़ौदा के तत्कालीन युवराज सयाजीराव गायकवाड़, न्यायाधीश गोविंद रानाडे और सेठ लाल जी नारायण जी का भी नाम लिया जाता है । दुर्भाग्यवश पत्नी का देहांत हो जाने से उनकी इस कार्य में रुचि समाप्त हो गई । कुछ ही समय बाद श्री तलपदे जी की मृत्यु हो जाने पर उनके संबंधियों ने विमान एक ब्रिटिश कंपनी को बेच दिया । पंडित दामोदर सातवलेकर ने जिनके श्री तलपदे जी के साथ घनिष्ठ संबंध थे इस घटना के बारे में स्पष्ट वक्तव्य दिया था।
इस घटना पर आधारित फिल्म हवाईजादा सन् 2015 में रिलीज हुई थी लेकिन लोकप्रिय नहीं हो पाई।
इसे अपने देश का दुर्भाग्य ही कहना होगा कि किसी तथ्य की सत्यता को हम तब तक स्वीकार नहीं करते जब तक कि पश्चिमी सभ्यता का समर्थन ना मिल जाए, जो सभ्यता अपने विकास के लिए भारतीय वेद ज्ञान पर आश्रित है उसके समर्थन को सत्य का आधार बनाना उचित नहीं।
इतिहास में हवाई जहाज के अविष्कारक राईट ब्रदर्स की जगह श्री तलपदे जी का नाम तर्क संगत है ।
About the Author:
Hi, I am Parul Kanchan from Lucknow (U.P). I am a home maker, fond of reading books related to Astro, Vastu , science, facts, drawing.
I want to share something among Indians. I noticed this fact in a book name science of veda in 2006 and a movie named Hawaijada came in 2015. Then I realized that every Indian should be aware of the glory of their rich history.