लफ़्ज़ों में पिरोए जज़्बातों का अनोखा कारवां |
जिंदगी के सफ़र में मुश्किलें तमाम,
कभी आँसू बेहिसाब,कभी मुस्कान बन जाए आम,
मगर चलते रहें बिना रूके
ये सफर ही मिलाएगी मंजिलों से
और बताएगी चलते रहना सफर में यही जिंदगी का काम।
– रूचिका राय
सफ़र कोई अनजाना हो
साथ खड़ा हो कोई अहर्निश,
क्यूॅं ना सफ़र ये सुहाना हो
आसान हो जाए हर मुश्किल,
कितनी सारी उम्मीदें लिए…
बढ़ता चला जाता मुसाफ़िर,
बुलंद हौसले व जुनून के संग,
मिल ही जाती मनचाही मंज़िल।
– अजित कर्ण
कुछ सफर ऐसे भी तय किये जाते हैं
ना मंज़िल का इंतज़ार, ना रास्ते की थकान,
बस मनपसंद हमसफ़र के साथ ज़िंदगी जिए जाते हैं …
– डॉ.पूजा गुप्ता प्रीत
चाहे अच्छा हो या बुरा,
यादों में इसका असर ज़रूर रहता है।
आपके साथ इस सुहाने सफर ने,
दिखाई एक नई दुनिया, नई राहें।
मिले नए साथी, और खिल गया दिल हमारा।
– संध्या रानी दाश
जिंदगी के सफ़र में जब चले सब साथ थे।
बिछुड़े बीच राह कुछ,न रुके हम चलते रहे।
सफ़र अपना ख़ुद ही तय करना था हमें।
ये जानकर, मिल जायेगी मंज़िल ग़र न रुके।
– मीनाक्षी जैन
ना रोको ऐ शोख़ हवाओं !
मुझको
जाना है फ़लक के द्वार अभी
देकर उड़ान
ख़्वाहिशों की परवाज़ों को
मंज़िलों के सफ़र पर
जाना है चाँद सितारों के पार अभी
– पुष्पा कर्ण
जिंदगी के गुलिस्तां में फूल भी हैं, कांटे भी
बागबान उन पर पानी के छींटे देने से नहीं चूकते
युंही टेढ़ेमेढ़े, उबड़ खाबड़ पगडंडियों से गुजरने से मै नहीं कतराई
बस चलती रही
– उमा नटराजन
सफ़र ही मेरा हमसफ़र है
खुद़ की तलाश बनाती मुझे हरपल बेहतर है
उम्मीदें राहों को रोशन किए रहतीं हैं
आशाएँ मुझे चलातीं निरंतर हैं
– निरूपा कुमारी
ज़िंदगी के सफ़र में
कुछ ख़्वाब सजाये बैठे हैं
मुस्कुराते चेहरे के पीछे
अपना दर्द छिपाये बैठे हैं
हाल ए दिल छुपाने के लिए
चेहरे पर नक़ाब चढ़ाये बैठे है
– सरिता चावला
क्या लगता है मैं सफर पर अकेला चला हूं
अरे, अकेला नहीं हूं, अकेला ही काफिला हूं।
– लव
जिदंगी का सफर बने सुहाना
छोटी- छोटी बातों को दिल से न लगाना
उतार -चढ़ाव तो जीवन में आते रहेगे
हंसते मुस्कुराते हुए जीवन को बिताना।
– कांता कांकरिया
ऐ पथिक, तुम्हें तब तक चलना, सफ़र न जब तक पूरा हो,
नहीं बैठना थककर तब तक, जब तक काम अधूरा हो।
जीवन तो चलने का नाम है, मौत भला कहाँ चलती है,
कर संघर्ष जो बढ़ता जाए, मंज़िल उसी को मिलती है।
– रुचि असीजा “रत्ना“
हर सफ़र ने ज़िंदगी को आकार दिया,
हर सफ़र से ख़ुद को निखार दिया,
चलते रहना तो है ज़िंदगी का दस्तूर,
सफ़र में रहते हुए हर सफ़र तय किया।
– विदिशा राय
ज़िंदगी के सफ़र पर, चले थे साथ-साथ |
ले हाथों में हाथ ||
मन में लगन थी, लवों पे हँसी थी |
निगाहों की चिलमन, ग़ज़ल कह रही थी ||
– मनीषा जैन
ख्वाहिशें बड़ी थीं,
मंजिल दूर खड़ी थी,
सफलता लंबी थी,
पहचान अपनी बनानी थी,
अरमानों को संग लेकर,
अंधेरे में चल पड़ी थी।
– विधि जैन