कुछ प्रेम कहानियाँ ऐसी होती हैं जो दिल में दस्तक दे जाती हैं और एक अमिट छाप छोड़ जाती हैं। सच में जी चाहता है कि उन कुछ पन्नों को हमेशा के लिए कैद कर लिया जाए और हमारी ज़िंदगी में भी कुछ ऐसे ही पल आ जाएँ, जिन्हें फिर से जीने का अवसर मिले। कुछ प्रेम कहानियों के किरदार इतने जीवंत लगते हैं कि हम उनमें ही खो जाते हैं, और वे हमारे लिए यादगार बन जाते हैं। हम उन किरदारों से इस कदर जुड़ जाते हैं कि अपनी ज़िंदगी में भी वही प्यार ढूँढने लगते हैं। ऐसी ही कुछ प्रेम कहानियों का मैं यहाँ जिक्र कर रही हूँ, जो अनजाने यूरोप ट्रिप से शुरू होती हैं और दो लोगों को हमेशा के लिए बाँध देती हैं।
दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे: राज और सिमरन की प्रेम कहानी
ऐसी ही एक अनूठी कहानी है राज और सिमरन की, जो फिल्म दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे में देखने को मिलती है। राज (शाहरुख खान) और सिमरन (काजोल) की मुलाकात एक यूरोप ट्रिप के दौरान होती है। सिमरन शादी से पहले अपनी ज़िंदगी खुलकर जीना चाहती है, इसलिए वह यूरोप घूमने जाती है, जहाँ उसकी मुलाकात राज से होती है। शुरुआत में सिमरन को राज बिल्कुल पसंद नहीं आता, और दोनों के बीच खूब नोक-झोंक होती है। लेकिन समय के साथ वे एक-दूसरे को पसंद करने लगते हैं और उन्हें प्यार हो जाता है।
दूसरी ओर, सिमरन के पिता उसकी शादी एक भारतीय लड़के से करना चाहते हैं, जबकि सिमरन राज से शादी करना चाहती है। राज भारत आता है और सिमरन के पिता का दिल जीतने के लिए जी-तोड़ मेहनत करता है। वह छोटे-छोटे प्रयास करता है, जो कहानी को और खूबसूरत बना देते हैं। अंततः, राज अपने प्यार को पाने में सफल हो जाता है और सिमरन के परिवार को भी मना लेता है। यह कहानी प्रेम, परिवार और पारंपरिक मूल्यों को खूबसूरती से समेटे हुए है।
हम तुम: करण और रिया की खट्टी-मीठी प्रेम कहानी
अगली कहानी है हम तुम, जो कि करण (सैफ अली खान) और रिया (रानी मुखर्जी) की खट्टी-मीठी और दिलचस्प प्रेम कहानी है। करण एक बिंदास लड़का है, जो कार्टून आर्टिस्ट के रूप में काम करता है, जबकि रिया उससे बिल्कुल विपरीत, एक गंभीर, स्वतंत्र और समझदार लड़की है।
इन दोनों की मुलाकात भी एक यूरोप ट्रिप के दौरान होती है, जहाँ इनके बीच हर वक्त तकरार बनी रहती है। ये दोनों एक-दूसरे से खूब लड़ते-झगड़ते हैं। लेकिन दूसरी मुलाकात में उनके बीच दोस्ती हो जाती है और फिर वे अपनी-अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ जाते हैं। तक़दीर उनकी तीसरी मुलाकात तब करवाती है, जब रिया एक कठिन दौर से गुज़र रही होती है—वह अपने पति को खो चुकी होती है और पूरी तरह बदल चुकी होती है। वह हँसना तक भूल जाती है।
ऐसे में करण उसकी ज़िंदगी में खुशियाँ वापस लाने की कोशिश करता है। धीरे-धीरे दोनों की दोस्ती गहरी हो जाती है और प्रेम की भावना जन्म लेने लगती है। हालांकि कुछ गलतफहमियाँ उनके बीच आती हैं, लेकिन अंततः वे समझ जाते हैं कि वे एक-दूसरे के लिए ही बने हैं।
इस फिल्म का संदेश यही है कि प्रेम कभी खत्म नहीं होता—वह किसी न किसी रूप में वापस आता है और ज़िंदगी को फिर से रंगों से भर देता है।
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– अंशिता त्रिपाठी

लेखक परिचय:
अंशिता त्रिपाठी – गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में जन्मी अंशिता त्रिपाठी जी वर्तमान में मुंबई में रहती हैं। उन्होंने प्रयागराज, उत्तर प्रदेश से बायोटेक्नोलॉजी में बी.टेक, क्रैनफील्ड यूनिवर्सिटी से क्लिनिकल ट्रायल में एम.एस., और कुंडलिनी एवं मेडिटेशन में स्नातकोत्तर उपाधि अर्जित की है। उन्होंने आर.पी.एम. बायोफार्मास्युटिकल्स और कॉग्निजेंट टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस, मुंबई में पाँच वर्षों (2010-2015) तक कार्य किया। वर्तमान में वह स्कूल मैनेजमेंट देख रही हैं।
बचपन में जॉन कीट्स और विलियम वर्ड्सवर्थ जैसे कवियों से प्रेरित होकर उन्होंने प्रकृति पर निबंध लिखने शुरू किए थे। लेखन के साथ-साथ अंशिता जी को अनुसंधान और चिकित्सा से संबंधित पत्रिकाएँ पढ़ने, संगीत सुनने, मेडिटेशन करने, भ्रमण करने और बागवानी करने का शौक है।
उन्होंने वर्ष 2020 से लेखन की शुरुआत की और अब तक उनकी 100 से अधिक कविताएँ विभिन्न समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। वह काउंटी ऑफ इंडिया मैगज़ीन में चीफ ब्यूरो के रूप में भी कार्य कर चुकी हैं। उनकी लेखनी को विभिन्न सोशल मीडिया मंचों पर सम्मानित किया गया है।
उनकी दो साझा काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं और उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी एवं महादेवी वर्मा सम्मान (2022) भी प्राप्त हुआ है।