चाय का एक प्याला, बस एक प्याला नहीं होता। उसमें घुली होती हैं मीठी यादें, अनकहे जज़्बात, और अनगिनत कहानियाँ। हमारे #StoryShots के इस विशेष शीर्षक “यादों का प्याला” ने लेखकों को अपने दिल की बातें लिखने का मौका दिया।
आपके द्वारा भेजी गई कहानियाँ हमें भावुक कर गईं। चाय और यादों का यह सफर बेहद खूबसूरत रहा। यहाँ पेश हैं हमारे विजेता और उनकी दिल को छू लेने वाली कहानियाँ।
अरे, आज फिर अदरक वाली चाय? तुम्हें पता है ना, यह मुझे अच्छी नहीं लगती।” मैं एकदम उठकर रसोई की तरफ़ चल दी। “सॉरी, माँ, भूल गई।” पर माँ कहाँ थी। वह तो कब की छोड़कर चली गई थी। और मैं हर सुबह उनकी आवाज़ सुनती हूँ। य का पहला घूँट पीते ही सुनाई देती है उनकी अपनी सी आवाज़, जो वापिस ले जाती है उन खट्टे-मीठे पलों में। कभी हंसती थी, कभी नाराज़ होती थी अपनी बीमार माँ की देखभाल करते। पर अब सोचती हूँ कि वह कुछ दिन और ठहर जाती।
– सरिता खुल्लर
ये यादों का प्याला भी भरा ही होता है, कभी खाली ही नहीं होता। उसमें भी अजीब सी कशिश है। यादों के आईने में हम जज़्बातों को तलाशते हैं। आज मेरे हाथ में गर्म चाय का प्याला है और बेहद सर्दी की ठिठुरन है। याद आता है मेरा स्टाफ रूम, एक छोटा और बड़ा अंतराल, चाय की तलब और गर्मागर्म अदरक वाली चाय का हाज़िर होना। वो मेरे अनमोल दिन यादों के ज़ेहन में ताज़ा हैं और अब भी ताजगी का एहसास भर देते हैं। वो भी क्या दिन थे! मुझमें एक जुनून था, समर्पण की भावना थी, और ज्ञान बांटने की मंशा थी। कितने ही मेरे छात्र आज आकाश की बुलंदियों को छू रहे हैं।
– उमा नटराजन