मरुत्सखा
लेखिका: पारुल कंचन मरूत्सखा एक नाम जो बस जिक्र बनकर किताबों के पन्नों में छिप गया , { युवं पेदवे पुरूवारमश्विना स्पृधांश्वेतं तरूतारं दुवस्यथ: ।शयैरभिद्युं पृतनासु दुष्टरं चकृत्यमिन्द्रमिव चर्षणीसहम् ।। ऋग्वेदादि भाष्य भूमिका (सं•1949 ) द्वितीय वारम्, पृष्ठ संख्या 205 ,209} पुरातन काल में महर्षि दयानंद ने जब यह सिद्ध करने के लिए कि वेद सब […]