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समय की ताल – हर पल की धड़कन, हर कविता में समाई

Time is precious
समय की चाल जीवन की धड़कन है, जो हर क्षण को एक नई धुन में पिरोती है। हमारे विजेता कवियों ने इस अनंत यात्रा को अपनी कविताओं में अनूठे रूप में संजोया है। हर पंक्ति समय के उतार-चढ़ाव, सुंदरता और संघर्ष को अभिव्यक्त करती है। इन भावपूर्ण रचनाओं का आनंद लें और समय की ताल में खो जाएं।

समय की ताल पर,
थिरकती दुनिया सारी है।
जो न चला समय संग,
जीवन उसका कष्टकारी है।

विपरीत दिशा में बहकर,
नदी भी अक्सर हारी है।
रौ में बह जाना ही जग में,
कहलाता समझदारी है।

सुख-दुःख की लहरें उठतीं,
यात्रा जीवन अत्यंत रोमांचकारी है।
विघ्न-बाधाओं से जो न घबराया,
वही मनुष्य विजय-पताकाधारी है।

प्रतिकूल परिस्थितियाँ आती हैं कभी,
सहचर ही लगते, दुष्ट-अत्याचारी हैं।
संयमित रह जिसने किया आचार-व्यवहार,
समय करता उसकी रहगुजारी है।

हारा हुआ लगता कभी जो,
जीत जाता वह भी बाज़ी है।
सच, समय बड़ा बलवान,
जीवन की पटकथा का सूत्रधारी है।
– शादाबी नाज़

ना बैठ होकर निढाल यूँ, है कर्मपथ का राही तू।
रजनी अमावस की सही,
दृग के जुगनुओं से पथ आलोकित करता चल।
जीवन में नवल इतिहास गढ़ने को,
नित नवीन समय की ताल पर थिरकता चल।

हैं शूलों भरी राहें संघर्षों की सही,
पर नित नव कीर्तिमानों की नींव रखता चल।
एक आस… और एक काश…! के दायरों में,
सिमट जाए ना ये जीवन कहीं।
तज सारे आलस्य को, तू स्वयंसिद्धा बनता चल।

समय की ताल को जो समझ ना पाया कभी,
समय के हाथों ही छला गया वो मानव सभी।
समय की ताल पर जिसने भी कदमताल की,
वास्तव में, जीवन सफल हुआ उसका ही।
– पुष्पा कर्ण

समय बाँधे नहीं बँधता, पलक झपके गुज़र जाए।
रेत जैसे हो मुट्ठी में, ये ऐसे ही सरक जाए।
समय की ताल जब बजती, तो मिल जाती है मंज़िल भी,
नहीं सुन पाते जो इसको, दग़ा उनको यह दे जाए।

क़दर करते हैं जो इसकी, ये करती है क़दर उनकी।
भरोसे भाग्य के रहकर, नहीं क़िस्मत बदल पाए।
दौलत भी है वो पाते, है शोहरत भी उन्हें मिलती।
नहीं लाचार वो रहते, ताल संग जो भी चल पाए।

समय की ताल जब बजती, नहीं आवाज़ आती है।
रहें अनजान हम इससे, किसी को कब, क्या दे जाए।
नहीं अभिमान तुम करना, बस इसके संग ही चलना।
समय की चाल जब बदले, तो जीवन ही बदल जाए।
– रुचि असीजा “रत्ना “

समय की ताल से आओ, कदम मिलाकर चलें।
समय की आँख में सपने नए सजाकर चलें।

सजाएँ इसको नूपुर की मधुर झंकारों से,
नई महक के नए गुलिस्तां खिलाकर चलें।

लगे हैं दाँव पे रिश्ते कई ज़माने से,
प्रेम और विश्वास से रिश्ते सभी बचाकर चलें।

भला क्यों रोक लें अभिव्यक्तियाँ विचारों की,
नए विचार, नई भावना को गाकर चलें।

चलो कि एक नया आसमां बुलाता है,
हम अपने आसमां की ओर मुस्कुराकर चलें।

कई युगों के अंधेरे में रोशनी को भरें,
नए सूरज को हथेली पे हम उगाकर चलें।
– हिमांशु जैन मीत

समय की ताल से कदम मिला लेते हैं जो,
ना चाहकर भी हर स्थिति में मुस्कुरा लेते हैं जो।
हकीकत का दामन थामकर चलना जिन्होंने है सीखा,
रास आता नहीं जिन्हें एहसान किसी का।

अंदाजा है जिनको,
बेहतरीन को नायाब बनाती कदर है।
जिगर-ए-बशर में ना पनपे आरज़ू जब तक कोई,
फिजूल लगता हर हुनर है।

खैरात से तौबा करना जो हैं जानते,
अपनी मेहनत के दम पर तमन्नाओं के पुल हैं बांधते।
क्या, कैसे, कब, कितना, कहां — नहीं मायने जिनके लिए रखता,
हर मुश्किल से निबटने का निकाल लेते हैं जो रस्ता।

तय करते वही ज़र्रा-ए-ज़मीं, सफर आसमानी है,
पाक होती नीयत जिनकी और रूह नूरानी है।
– पारुल कंचन

पलक झपकते ही गुजर जाता है प्रत्येक अनमोल क्षण,
समय ही सिखाता हमें जीवन में सुर, लय और ताल का वास्तविक स्वरूप और संगम।
अतीत के कर्मों से होता प्रतिफलित वर्तमान,
और वर्तमान से होगा प्रतीत भविष्य का जीवन दर्शन।

ऊंचे विचार और अच्छी आदतों से होता सत्कर्मों का उत्पन्न,
और सत्कर्मों से ही होते शृंखलित हमारे संस्कार, श्रंगार और पहचान।
समय की ताल में हमेशा अपने कर्मों को संशोधित करने से निखरता हम सबका सम्मान।

समय की ताल पर अपनी चाल का बनाकर संतुलन,
लक्ष्य की ओर बढ़ने से सफल होता हमारा जीवन।
क्योंकि “समय कभी किसी के लिए रुकता नहीं…”
यही है समय का सबसे बड़ा पैग़ाम।
– सुधा रानी पति

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